मेवाड़ समाचार
राजस्थान में गांव की सरकार इन दिनों पंचायत चुनाव की वजह से ”प्रेशर पॉलिटिक्स” का सहारा ले रही है. राजस्थान में 40 प्रतिशत पंचायतों का कार्यकाल जनवरी में पूरा हो रहा है. इसी कारण सरपंचों को आशंका है कि निकायों की तरह पंचायतों में भी प्रशासक लगाकर उनके हाथ से कुर्सी छीन ली जाएगी.
अपनी मांग को लेकर सरपंच ग्रामीण विकास मंत्री किरोड़ीलाल मीणा से मुलाकात कर चुके है. जिसके बाद सरपंचों ने जयपुर कूच का ऐलान कर दिया.6 दिसंबर को प्रदेशभर के सरपंच जयपुर कूच करेंगे.
इसी बीच सरकार की तैयारियों के बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने जनवरी में पंचायत चुनाव करवाने की तैयारी शुरू कर दी है. राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए वोटर लिस्ट अपडेट करने के लिए प्रगणक नियुक्त करने को कहा है।
गौरतलब है कि,पंचायतों में प्रशासक लगने पर सरपंच और वार्ड पंच नहीं रहते. पंचायत के सारे अधिकार प्रशासक के पास ही रहते हैं. जो विकास के काम सरपंच स्तर पर होते थे,वे प्रशासक मंजूर करता है. पंचायती राज और शहरी निकायों के चुनाव 5 साल में करवाने की कानूनी बाध्यता है.
विशेष परिस्थितियों में ही इसे टालने का प्रावधान है.
इसके लिए भी सुप्रीम कोर्ट तक जाना होता है. हालांकि पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर कह चुके है कि पंचायत चुनाव का फैसला कैबिनेट लेगी.
वन स्टेट वन इलेक्शन को लेकर कई तरह की कानूनी अड़चनें हैं. कानूनी दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार में अलग-अलग स्तर पर मंथन चल रहा है

Author: mewadsamachar
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