मेवाड़ समाचार
राजस्थान में ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन की प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है। अगले चार महीनों तक यह प्रक्रिया चलेगी। इसके बाद नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां अस्तित्व में आएंगी। प्रशासनिक से ज्यादा यह मुद्दा राजनीतिक भी है।
क्योंकि पंचातयों का पुनर्गठन सीधे-सीधे जन प्रतिनिधियों को भी प्रभावित करेगा। ऐसे में पंच, सरपंच और विधायक से लेकर सांसद तक इस प्रक्रिया को लेकर अपने फायदे-नुकसान का हिसाब किताब बैठा रहे हैं।
पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया इससे पहले 2013 में आई वसुंधरा राजे की सरकार में भी किया गया था। तत्कालीन पंचायती राज मंत्री गुलाबचंद कटारिया की अध्यक्षता में बनाई गई मंत्रिमंडल समिति की सिफारिशों पर प्रदेश में करीब 1200 नई पंचायतें और 50 नई पंचायत समतियां गठित की गई थीं।अब मौजूदा समय में पंचायतों की संख्या 11304, पंचायत समिति 352 तथा 33 जिला परिषद हैं।
ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन, नवसृजन के लिए वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। साल 2011 के अनुसार, जिले में ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या 11 लाख तीन हजार 603 थी। इस हिसाब से जिले में करीब 270 से अधिक ग्राम पंचायतें बन सकती हैं।
नई ग्राम पंचायत के लिए कम से कम तीन हजार एवं अधिक से अधिक पांच हजार 500 जनसंख्या के आधार पर ग्राम पंचायत बनाया जाना है। जबकि पूर्व में हुए पुनर्गठन में अनुसूचित, सहरिया और मरुस्थलीय क्षेत्रों को छोड़कर बाकी पूरा प्रदेश में एक ग्राम पंचायत के लिए न्यूनतम 5,000 और अधिकतम 7,500 आबादी का मापदंड रखा गया था। जानकारी के अनुसार, 20 जनवरी से लेकर 15 अप्रैल के बीच पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन का काम होगा।

Author: mewadsamachar
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