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20 जनवरी से होगा पंचायतों का पुनर्गठन, 800 पंचायतें और 20 नई पंचायत समितियों का होगा गठन।

मेवाड़ समाचार

राजस्थान में पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। राज्य के ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग ने पंचायतों की नई संरचना का टाइम टेबल और गाइडलाइन जारी कर दी है। इस प्रक्रिया के तहत नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों का गठन होगा, साथ ही मौजूदा पंचायतों की सीमाओं में भी बदलाव किया जाएगा। 20 जनवरी से 15 अप्रैल तक इस कार्य को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह बदलाव राजस्थान के ग्रामीण इलाकों को बेहतर प्रशासनिक सुविधाएं प्रदान करने और विकास कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

12,000 ग्राम पंचायतें बनने की संभावना

वर्तमान में राजस्थान में 11,194 ग्राम पंचायतें और 365 पंचायत समितियां हैं। पुनर्गठन के बाद पंचायतों की संख्या 12,000 तक पहुंच सकती है। इस बदलाव के तहत करीब 800 नई ग्राम पंचायतें और 20 नई पंचायत समितियां बनने की संभावना है। यह निर्णय राज्य की ग्रामीण आबादी की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। जनसंख्या और दूरी के पुराने मापदंडों में इस बार छूट दी गई है, जिससे प्रशासनिक प्रक्रिया में लचीलापन आएगा।

पंचायतों के पुनर्गठन का कार्य तीन चरणों में संपन्न होगा:

20 जनवरी से 18 फरवरी: इस दौरान कलेक्टर नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के प्रस्ताव तैयार करेंगे।
20 फरवरी से 21 मार्च: प्रस्तावों पर आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे।
23 मार्च से 15 अप्रैल: जनता की आपत्तियों और सुझावों का निपटारा करने के बाद अंतिम प्रस्ताव पंचायती राज विभाग को भेजे जाएंगे।

2011 की जनगणना होगी आधार

नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के गठन के लिए 2011 की जनगणना के आंकड़ों को आधार बनाया जाएगा। नई जनगणना नहीं होने के कारण यह निर्णय लिया गया है।

जनसंख्या के अनुसार मानदंड

सामान्य क्षेत्र:

न्यूनतम जनसंख्या: 3000
अधिकतम जनसंख्या: 5500

रेगिस्तानी क्षेत्र और सहरिया इलाकों:

न्यूनतम जनसंख्या: 2000
अधिकतम जनसंख्या: 4000
राजस्थान के चार रेगिस्तानी जिलों – बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, और जोधपुर – और बारां जिले के सहरिया बहुल किशनगंज और शाहबाद क्षेत्रों में इन मानदंडों में विशेष छूट दी गई है।

रेगिस्तानी जिलों में 20 ग्राम पंचायतों पर एक पंचायत समिति बनाई जाएगी, जबकि सामान्य इलाकों में यह संख्या 25 ग्राम पंचायतों की होगी। इससे पहले एक पंचायत समिति में 40 ग्राम पंचायतें होती थीं। राज्य में 2 लाख या इससे अधिक आबादी और 40 से ज्यादा ग्राम पंचायतों वाली पंचायत समितियों को पुनर्गठित किया जाएगा। इसका उद्देश्य प्रशासनिक कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाना है

पुनर्गठन की विशेष गाइडलाइन्स

राजस्व गांव का विभाजन नहीं होगा:
– एक राजस्व गांव को दो ग्राम पंचायतों में विभाजित नहीं किया जाएगा। पूरा गांव एक ही पंचायत में रहेगा।
एक विधानसभा क्षेत्र में होगी पंचायत:
– किसी भी पंचायत का क्षेत्र केवल एक विधानसभा क्षेत्र में ही होगा।
पंचायत मुख्यालय का चयन:
– नई पंचायत का मुख्यालय उसी गांव में होगा, जहां सरकारी कार्यालय मौजूद हों या इनके लिए भूमि उपलब्ध हो।
– मुख्यालय तक पहुंचने के साधन और दूसरे गांवों से संपर्क सुगम होना चाहिए।
स्थानीय मांग के अनुसार बदलाव:
– स्थानीय निवासियों की मांग पर पंचायत के इलाके बदले जा सकते हैं।
– अगर कोई क्षेत्र अपनी मौजूदा पंचायत से अलग होकर दूसरी पंचायत में शामिल होना चाहता है, तो यह बदलाव 6 किलोमीटर की अधिकतम दूरी के नियम के तहत किया जाएगा।

पंचायतों के पुनर्गठन से संभावित लाभ

बेहतर प्रशासन: पंचायतों के पुनर्गठन से प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी।
सुविधाओं में वृद्धि: नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के गठन से स्थानीय निवासियों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
सामाजिक और आर्थिक विकास: छोटी इकाइयों में विभाजन से विकास योजनाओं का लाभ सीधे ग्रामीणों तक पहुंचेगा।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि पंचायतों के पुनर्गठन से कई लाभ होंगे, लेकिन इसके साथ चुनौतियां भी होंगी, जैसे कि

आपत्तियों का समाधान: स्थानीय निवासियों की आपत्तियों को ध्यानपूर्वक सुनना और उनका निपटारा करना।
संसाधनों की उपलब्धता: नई पंचायतों के मुख्यालयों के लिए भूमि और अन्य संसाधन जुटाना।
राजनीतिक संतुलन: पुनर्गठन में राजनीतिक संतुलन बनाए रखना ताकि कोई क्षेत्र उपेक्षित न हो।

इन चुनौतियों का समाधान प्रशासनिक और जनभागीदारी के माध्यम से किया जाएगा।

राजस्थान में पंचायतों का पुनर्गठन राज्य के ग्रामीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों का गठन ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन को अधिक प्रभावी और जनहितैषी बनाएगा। 2011 की जनगणना और क्षेत्रीय आवश्यकताओं के आधार पर किया जा रहा यह पुनर्गठन राज्य के समग्र विकास में मील का पत्थर साबित हो सकता है। सरकार का यह प्रयास न केवल ग्रामीण जीवन को बेहतर बनाएगा, बल्कि विकास कार्यों को नई गति भी प्रदान करेगा।

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Author: mewadsamachar

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